गायत्री मंत्र व उसका अर्थ


गायत्री मंत्र व उसका अर्थ

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य 
धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

अर्थः - उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। अर्थात् 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के प्रसिद्ध पवणीय तेज का (हम) ध्यान करते हैं, वे परमात्मा हमारी बुद्धि को (सत् की ओर) प्रेरित  करें।

Transliteration of Gayatri Mantra

Om bhoor-bhuvah svah,

tat-savitur-vareNNyam,

bhargo devasya dheemahi,

dhiyo yo naH pracho-dayaat.

ॐ (ओ३म्) = Om or Aum

भूर्भुवः (भूर्-भुवः) = bhoor-bhuvah

स्वः = svah

तत्सवितुर्वरेण्यम् (तत्-सवितुर्-वरेण्यम्) = tat-savitur-vareNNyam

भर्गो (भर्-गो) = bhargo

देवस्य = devasya

धीमहि = dheemahi

धियो = dhiyo

यो = yo

नः = naH

प्रचोदयात (प्‌रचोदयात) = pracho-dayaat

महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान

"'गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिऐ उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त ह्रुदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है।"
-महात्मा गाँधी
"ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से ऐक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है।"
-महामना मदन मोहन मालवीय
"भारतवर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है कि ऐक ही श्वाँस में उसका उच्चारण किया जा सकता है। वह मंत्र है गायत्री मंत्र।"
-रवींद्रनाथ टैगोर
"गायत्री मे ऍसी शक्ति सन्निहित है, जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है।"
-योगी अरविंद
"गायत्री का जप करने से बडी‍-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है।"
-स्वामी रामकृष्ण परमहंस
"गायत्री सदबुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।"
-स्वामी विवेकानंद

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गायत्री मंत्र कब ज़रूरी है।
सुबह उठते वक़्त 8 बार,
अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !!
भोजन के समय 1 बार 
अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !!
बाहर जाते समय 3 बार 
समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !!
मन्दिर में 12 बार 
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !!
छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण 1 बार 
अमंगल दूर करने के लिए !!

सोते समय 7 बार 
सात प्रकार के भय दूर करने के लिए
!!

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